देश में ‘एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट’ सक्रिय: राहुल गांधी

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नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से जुड़े मामले का हवाला देते हुए मंगलवार को दावा किया कि देश में ‘एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट’ सक्रिय है जिसके मूल में अदाणी समूह, प्रमुख नियामक संस्थाएं तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच की ‘खतरनाक सांठगांठ’ है। कांग्रेस ने एक बार फिर सेबी प्रमुख माधवी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया है। मुख्य विपक्षी दल का आरोप है कि बुच ने अपनी संपत्ति ‘इंडियाबुल्स’ समूह से जुड़े एक व्यक्ति से संबंधित कंपनी को किराये पर दे दी, जबकि यह कंपनी सेबी की जांच के दायरे में थी। आरोपों पर बुच या अडानी समूह की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कांग्रेस की तरफ से पहले लगाए गए आरोपों को बुच और अदाणी समूह ने खारिज किया था।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से बातचीत में यह आरोप भी लगाया कि बुच ‘प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड’ से भी जुड़ी हुई हैं और इसमें उनकी इक्विटी है तथा सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद भी उन्होंने कंपनी में शेयर रखना जारी रखा है। खेड़ा का दावा है कि प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करने वाली कंपनी ‘जेसेसा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड’ का नाम ‘पैराडाइज पेपर्स’ मामले में आया था।

राहुल गांधी ने ‘यूट्यूब’ पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा, ”भारत के संस्थागत ढांचे में ‘एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट’ उदय के साथ खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। इस सिंडिकेट के मूल में अदाणी, प्रमुख नियामक संस्थाओं और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के बीच एक खतरनाक सांठगांठ है।” उन्होंने आरोप लगाया कि अदाणी डिफेंस वेबसाइट से पता चलता है कि कैसे कंपनी केवल विदेश निर्मित हथियारों की रीब्रांडिंग करके मुनाफा कमाती है, जबकि युवा सैनिकों और उनके परिवारों के प्रशिक्षण, पेंशन और कल्याण के लिए जरूरी राशि को ‘अग्निपथ’ जैसी योजनाओं के माध्यम से हटा दिया जाता है। गांधी ने दावा किया, ”यह विश्वासघात राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करता है और हमारे युवाओं के भविष्य को खतरे में डालता है।