वक्फ़ विधेयक संविधान पर हमला और समाज में ध्रुवीकरण बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा: सोनिया

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कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की प्रमुख सोनिया गांधी ने बृहस्पतिवार को सरकार पर वक्फ़ संशोधन विधेयक को लोकसभा में मनमाने ढंग से पारित कराने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि यह विधेयक संविधान पर सरेआम हमला है तथा यह समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में बनाए रखने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने संसद भवन परिसर में संपन्न सीपीपी की बैठक में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ संबंधी विधेयक, निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली, भारत के पड़ोसी देशों की राजनीतिक स्थिति, संसद में गतिरोध, विपक्ष के नेताओं को ”बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने” और कई अन्य विषयों को लेकर सरकार तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखे प्रहार किए।

लोकसभा ने बुधवार को विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों के कड़े विरोध के बीच और साढ़े 10 घंटे से अधिक समय तक चर्चा करने के बाद देर रात करीब दो बजे वक्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 और मुसलमान वक्फ़ (निरसन) विधेयक, 2024 को पारित किया। विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए 232 के मुकाबले 288 मतों से वक्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित किया गया। सदन ने मुसलमान वक्फ़ (निरसन) विधेयक, 2024 को भी ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। सोनिया गांधी ने कहा, ”यह हमारे लोकतंत्र के लिए गंभीर चिंता का विषय है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष को बोलने की अनुमति नहीं मिल रही है। इसी तरह, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष (मल्लिकार्जुन) खरगे जी को बार-बार अनुरोध के बावजूद वह कहने की अनुमति नहीं दी जाती है जो वह कहना चाहते हैं और वास्तव में उन्हें कहना चाहिए।

आपकी तरह मैं भी इसकी साक्षी रही हूं कि कैसे सदन हमारी वजह से नहीं, बल्कि खुद सत्तापक्ष के विरोध के कारण स्थगित होता है।” उन्होंने कहा कि यह एक असाधारण और चौंकाने वाली बात है क्योंकि यह विपक्ष को उन चिंताओं को उठाने से रोकने के लिए किया गया है, जिससे सरकार मुश्किल में पड़ सकती है। सोनिया गांधी ने दावा किया, ”कल वक्फ़ संशोधन विधेयक, 2025 लोकसभा में पारित हो गया और आज यह राज्यसभा में लाया जाने वाला है। विधेयक को वास्तव में मनमाने ढंग से पारित किया गया था। हमारी पार्टी की स्थिति स्पष्ट है। यह विधेयक संविधान पर ही सरेआम हमला है। यह हमारे समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में बनाए रखने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ संबंधी विधेयक संविधान को कमजोर करने का एक और प्रयास है।

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ”हम इस कानून का भी पुरजोर विरोध करते हैं।” सीपीपी प्रमुख ने कहा, ”हम बार-बार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और उसके अपारदर्शी नियमों और प्रक्रियाओं पर संसद में चर्चा की आवश्यकता का मुद्दा भी उठाते रहे हैं। इनमें से कुछ नियम और प्रक्रियाएं फिलहाल उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिए जाने के कारण विचाराधीन हैं। यहां तक कि इस विषय पर अल्पकालिक चर्चा की भी इजाजत नहीं थी।” सोनिया गांधी ने नए संसद भवन का उल्लेख करते हुए कहा, ”अतीत में, हम एक साथ बैठ सकते थे, सहकर्मियों से मिल सकते थे, अन्य दलों के सदस्यों के साथ बातचीत कर सकते थे और मीडिया के साथ जुड़ सकते थे। ये चीजें हम अब नए संसद भवन में नहीं कर सकते हैं।” उन्होंने कहा, ”’हम एक लंबे सत्र के अंत की ओर आ रहे हैं जो घटनापूर्ण भी रहा है। बजट पेश हो चुका है और उस पर चर्चा भी हो चुकी है। इसी तरह वित्त और विनियोग विधेयक भी हैं।’

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ”विभिन्न मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर स्थायी समितियों ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मुझे खुशी है कि ऐसी चार समितियों की अध्यक्षता करने वाले हमारे सहयोगी सशक्त नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं। आपने सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए एक बड़ी आम सहमति बनाने के मकसद से इन रिपोर्टों का उपयोग किया है। ऐसा विशेषकर कृषि, ग्रामीण विकास और शिक्षा से संबंधित समितियों में हुआ है।” उनके मुताबिक, ”हमने लोक महत्व के कई मुद्दों पर बहस की भी मांग की थी। दुर्भाग्य से, लेकिन आश्चर्य की बात नहीं, कि सत्तारूढ़ दल ने इनका भी खंडन किया था।” उन्होंने दावा किया, ”हम रक्षा और विदेश मंत्रालय के कामकाज पर लोकसभा में विस्तृत चर्चा चाहते थे। हमारे पड़ोस में बढ़ते अशांत राजनीतिक माहौल को देखते हुए ये दोनों विषय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी गई।” सोनिया गांधी ने कहा, ”हम हमारी सीमाओं पर चीन द्वारा पेश की गई गंभीर चुनौतियों और 19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा उसे दी गई चौंकाने वाली क्लीन चिट पर दोनों सदनों में चर्चा की मांग कर रहे हैं। उनके बयान ने हमारी बातचीत की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, लेकिन उसे भी अस्वीकार कर दिया गया। इस बीच, चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है और हमारे एमएसएमई को नष्ट कर रहा है जो अर्थव्यवस्था में मुख्य रोजगार सृजनकर्ता हैं।” उन्होंने कहा, ”वे दिन गए जब सत्ता पक्ष विपक्ष के प्रति उदार हुआ करता था, जब दोनों सदनों में बहस और चर्चा होती थी और सांसद के रूप में हम उनका इंतजार करते थे।