सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक के खिलाफ मुकदमा स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई स्थगित की

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उच्चतम न्यायालय ने दो मामलों में जेल में बंद जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ मुकदमा जम्मू-कश्मीर से दिल्ली स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को चार अप्रैल तक स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी क्योंकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता उपलब्ध नहीं थे। सुनवाई के दौरान मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई रमजान के बाद की जाए जिस पर पीठ ने सहमति व्यक्त की।

उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले मलिक को सात मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश होने का निर्देश दिया था। एक मामला 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर में गोलीबारी में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या से संबंधित है जबकि दूसरा मामला आठ दिसंबर, 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 18 दिसंबर को छह आरोपियों को मामलों की सुनवाई स्थानांतरित करने संबंधी सीबीआई की याचिका पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया था। प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक दोनों मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है।

उच्चतम न्यायालय जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को रूबैया सईद मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था। सीबीआई ने कहा कि मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे तिहाड़ जेल परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। मई, 2023 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा आतंकवाद वित्त पोषण मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से मलिक तिहाड़ जेल में बंद है।