उच्चतम न्यायालय ने बिहार विधान परिषद के सदस्य तथा राष्ट्रीय जनता दल के नेता सुनील कुमार सिंह का, अशोभनीय आचरण के लिये सदन से निष्कासन यह कहते हुये रद्द कर दिया कि यह सजा अत्यधिक है। सिंह के आचरण को सदन के सदस्य के लिये अशोभनीय करार देते हुये शीर्ष अदालत के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत एवं न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि विधान परिषद को और अधिक उदार होना चाहिये था । अदालत ने पिछले साल दिसंबर में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी उस अधिसूचना को भी खारिज कर दिया, जिसमें सिंह की सीट पर उपचुनाव की घोषणा की गई थी।
पीठ ने सिंह को उनके ‘अशोभनीय’ आचरण के लिए पहले से ही बिताई गई अवधि के लिए निलंबन की सजा सुनाई, और कहा कि वह निलंबन अवधि के लिए कोई पारिश्रमिक नहीं मांगेंगे। पिछले साल 26 जुलाई को, सिंह को सदन में उनके ‘अशोभनीय’ आचरण के लिए बिहार विधान परिषद से निष्कासित कर दिया गया था। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी माने जाने वाले सिंह पर 13 फरवरी, 2024 को सदन में तीखी नोकझोंक के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी करने का आरोप लगाया गया था। आचार समिति की ओर से 2024 में परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के एक दिन बाद, सिंह के निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। सिंह पर ‘मुख्यमंत्री के हाव-भाव की नकल करके उनका अपमान करने’ तथा आचार समिति के समक्ष उपस्थित होने के बाद उसके सदस्यों की योग्यता पर सवाल उठाने का भी आरोप लगाया गया।