एमबीबीएस छात्र का दाखिला रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने एक एमबीबीएस छात्र की उस याचिका पर सुनवाई करने से मंगलवार को इनकार कर दिया जिसमें उसने ओडिशा स्थित एक मेडिकल कॉलेज में उसका दाखिला कोई पूर्व सूचना दिए बिना रद्द किए जाने को चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति आर महादेवन की ‘आंशिक कार्य दिवस’ (पीडब्ल्यूडी) पीठ ने छात्र के वकील हर्षित अग्रवाल से कहा कि वह अपनी शिकायतें लेकर उच्च न्यायालय जाएं। पीठ ने कहा, ”याचिका को वापस लिया गया मानकर खारिज किया जाता है।” अग्रवाल ने 2024-2029 शैक्षणिक सत्र के लिए एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए पुनः दाखिला दिए जाने का अनुरोध करते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

उन्होंने यह भी घोषित किए जाने का अनुरोध किया कि कथित तौर पर कोई नोटिस दिए बिना या अपनी बात कहने का मौका दिए बिना दाखिला रद्द करना अवैध है और न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। याचिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी मेडिकल कॉलेज में अनुशासनात्मक मामलों में समान प्रक्रियात्मक कदमों को लागू किए जाने का अनुरोध किया गया। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने उच्च न्यायालय न जाकर सीधे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के अग्रवाल के फैसले पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति बिंदल ने कहा, ”हम सीधे यहां रिट याचिका पर विचार नहीं करेंगे।” इसके कारण वकील ने याचिका वापस लेने के लिए पीठ की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।