दुष्कर्म के दोषी की तलाश संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

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उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को बलात्कार के एक फरार दोषी को ढूंढकर पेश करने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने एजेंसी को इस कार्य से मुक्त करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश गैर जरूरी था। पीठ ने कहा, ”हमें लगता है कि सीबीआई का अनुरोध वास्तविक है, खासकर तब जब राज्य सरकार ने दोषी का पता लगाने के लिए एक विशेष टीम गठित की है। हमें लगता है कि सीबीआई को जारी किए गए उच्च न्यायालय के निर्देश गैर जरूरी थे।

इसलिए, निर्देशों को रद्द किया जाता है। हालांकि, यह जरूरी है कि राज्य दोषी का पता लगाने के लिए सभी कदम उठाए।” पीठ ने कहा कि यदि इस संबंध में मणिपुर सरकार गृह मंत्रालय से अनुरोध करती है तो केंद्र आवश्यकतानुसार सभी सहायता सुनिश्चित कर सकता है। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के चार अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत के समक्ष दलील दी कि मणिपुर पुलिस पहले से ही मामले को देख रही है और किसी भी तरह का हस्तक्षेप ठीक नहीं होगा। सीबीआई ने उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी थी कि इस निर्देश का पालन करना कठिन होगा, हालांकि उसकी यह दलील स्वीकार नहीं की गई। 10 जनवरी को उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आठ सप्ताह में फरार अपराधी का पता लगाने का निर्देश दिया था।

पश्चिम इंफाल में पॉक्सो मामलों के विशेष न्यायाधीश मैबाम मनोजकुमार ने 30 अप्रैल, 2019 को रेंगकाई गांव चुराचांदपुर स्थित ‘नॉर्थ ईस्टर्न चिल्ड्रन होम’ के प्रशासक टिमोथी एल चांगसांग को पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम की धारा छह व 10 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 के तहत दोषी ठहराकर उसकी गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी किया था। टिमोथी पर आरोप है कि उसने अपने बाल गृह में 2012 से लेकर दो साल से अधिक समय तक 14 नाबालिग लड़कियों से बलात्कार किया। घटना फरवरी 2015 में सामने आई थी, जब एक नाबालिग लड़की ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।