ई-फाइलिंग के बाद इसकी प्रतियां मांगने से डिजिटल प्रक्रिया का उद्देश्य विफल हो जाएगा : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल करने के बाद वकीलों से दस्तावेजों की प्रतियां मांगने से ई-फाइलिंग का उद्देश्य विफल हो जाएगा। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (एससीडीआरसी) में ‘डिजिटल-फाइलिंग’ सुविधा के प्रभावी कार्यान्वयन संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उषा गर्ग की याचिका में कहा गया है कि दस्तावेजों को डिजिटल रूप से दाखिल किये जाने के बावजूद वकीलों से इनकी कागजी प्रतियां दाखिल करने को कहा जाता है। पीठ ने कहा, ”हम वकीलों पर काम के बोझ को भी समझते हैं। अगर हम डिजिटल दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर, हम वकीलों पर अतिरिक्त कागजी फाइलिंग का बोझ भी डालते हैं, तो डिजिटल फाइलिंग की क्या जरूरत है?… हमें दो साल पहले शीर्ष अदालत में इसे खत्म करना पड़ा था।

इस बीच, पीठ ने एनसीडीआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए. पी. शाही की इन दलीलों का भी संज्ञान लिया कि एससीडीआरसी में रिक्तियों को भरने में राज्यों की ओर से देरी हो रही है और इससे न्यायिक कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। प्रधान न्यायाधीश ने एनसीडीआरसी प्रमुख से लंबित याचिकाओं का ब्योरा देने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि एससीडीआरसी में नियुक्तियों के मुद्दे पर शीर्ष अदालत जल्द से जल्द विचार करेगी। वर्चुअल तरीके से अदालत में पेश हुए न्यायमूर्ति शाही ने कहा कि एनसीडीआरसी को “ई-दाखिला” पोर्टल से “ई-जागृति” पर डेटा माइग्रेशन से संबंधित मुद्दों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की वेबसाइट के अनुसार, पोर्टल का प्राथमिक लक्ष्य सभी स्तरों पर उपभोक्ता विवादों को हल करने के लिए एक सरल, त्वरित और किफायती समाधान प्रदान करना है। शीर्ष अदालत ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव को अगली सुनवाई के दौरान डिजिटल फाइलिंग से संबंधित अब तक हुई प्रगति के बारे में उसे (न्यायालय को) अवगत कराने के लिए वर्चुअल रूप से पेश होने को भी कहा।