कानूनी सहायता व्यवस्था के संचालन के लिए जागरुकता बहुत महत्वपूर्ण: सुप्रीम कोर्ट

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कानूनी सहायता व्यवस्था के कामकाज की सफलता के लिए जागरुकता महत्वपूर्ण है और यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए कि विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रचारित लाभकारी योजनाएं सभी तक पहुंचें। कैदियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के मुद्दे पर कई निर्देश पारित करते हुए न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि थानों और बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थानों पर निकटतम कानूनी सहायता कार्यालय का पता और फोन नंबर प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) राज्यों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सहयोग से यह सुनिश्चित करेगा कि जेल में कैदियों को कानूनी सहायता सेवा तक पहुंच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया कुशलतापूर्वक संचालित की जाए।

अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) राज्यों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सहयोग से यह सुनिश्चित करेगा कि जेल में कैदियों को कानूनी सहायता सेवा तक पहुंच के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का सही तरीके से पालन हो। पीठ ने कहा, हमने यह भी कहा है कि कानूनी सहायता व्यवस्था की सफलता के लिए जागरूकता महत्वपूर्ण है। अदालत ने कहा, एक मजबूत तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए तथा समय-समय पर इसे अद्यतन किया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा प्रचारित विभिन्न लाभकारी योजनाएं देश के कोने-कोने तक पहुंचें, विशेषकर उन लोगों तक जिनकी शिकायतों का समाधान करने का कार्य प्राधिकरण को करना है। जुलाई में मामले की सुनवाई के दौरान, एनएएलएसए ने शीर्ष अदालत को बताया था कि 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जेलों में बंद लगभग 870 अपराधी मुफ्त कानूनी सहायता के बारे में सूचित होने के बाद अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करना चाहते हैं। शीर्ष अदालत जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ने के मुद्दे पर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।