शवों की गरिमापूर्ण तरीके से अंत्येष्टि के लिए एक समान राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता: सुप्रीम कोर्ट

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उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि महामारी और सामान्य समय में शवों का गरिमापूर्ण तरीके से अंत्येष्टि के लिए एक समान राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की आवश्यकता है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने एक वकील की पीड़ा को साझा किया, जिन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल न तो अपनी दिवंगत मां का चेहरा देख सका था और न ही महामारी के दौरान उसका अंतिम संस्कार कर सका था, जबकि कोविड-19 के कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई थी। पीठ ने कहा, ”हम आपकी पीड़ा को दूर नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम इसे दूसरों के लिए बेहतर बनाने का प्रयास कर सकते हैं।

पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से शवों का गरिमापूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार करने संबंधी मौजूदा राष्ट्रीय नीति की प्रति को वकील के साथ साझा करने को कहा। पीठ ने कहा कि यह इस मुद्दे पर राष्ट्रीय नीति का अध्ययन करेगा और उनके (वकील) सुझावों को मांगेगा और फिर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से सभी राज्यों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहेगा कि एक समान प्रोटोकॉल हो। पीठ ने कहा, इस पर एक समान राष्ट्रीय नीति की जरूरत है। शीर्ष अदालत एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई को अगस्त में सूचीबद्ध कर दिया।

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