उच्चतम न्यायालय वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने संबंधी एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका सहित कई याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार एवं के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर अब तक 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख ओवैसी की याचिका के अलावा, शीर्ष अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैयब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज झा द्वारा दायर याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
शीर्ष अदालत में इस मुद्दे पर कई नयी याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन्हें अभी सूचीबद्ध किया जाना बाकी है। इन याचिकाओं में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख एवं अभिनेता से नेता बने विजय ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है।
अधिवक्ता हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल ने भी एक अलग याचिका दायर कर वक्फ कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे गैर-मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने इसे सूचीबद्ध करने को सहमत हुए। केंद्र सरकार ने आठ अप्रैल को न्यायालय में एक ‘कैविएट’ दायर कर विषय में कोई आदेश पारित किए जाने से पहले सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया था। ‘कैविएट’ किसी पक्षकार द्वारा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए। केंद्र ने हाल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया था।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी), जमीयत उलेमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद अन्य प्रमुख याचिकाकर्ता हैं। सात अप्रैल को प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने पर विचार करने का आश्वासन दिया था। एआईएमपीएलबी ने 6 अप्रैल को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। अधिवक्ता लजफीर अहमद के मार्फत दायर ओवैसी की याचिका में कहा गया है कि वक्फ को दिये गए संरक्षण को कम करना मुसलमानों के प्रति भेदभाव है और यह संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 15 का उल्लंघन है।