नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक सरकार की उस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें बैंगलोर पैलेस ग्राउंड्स की 15 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के संबंध में पूर्ववर्ती मैसूर राजपरिवार के कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश को चुनौती दी गई है। शुरू में प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि वह किसी अन्य पीठ द्वारा पारित आदेश की समीक्षा कैसे कर सकती है।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की एक अन्य पीठ ने 22 मई को अवमानना कार्यवाही में कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया था कि वह राजपरिवार के उत्तराधिकारियों को 3,011 करोड़ रुपये मूल्य के टीडीआर प्रमाणपत्र जारी करे। हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि कर्नाटक नगर एवं ग्राम नियोजन अधिनियम में 2004 में संशोधन के माध्यम से पेश किया गया टीडीआर प्रावधान, बैंगलोर पैलेस (अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम के तहत 1996 में अधिगृहीत भूमि पर पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि 15 एकड़ जमीन टीडीआर प्रावधान के अस्तित्व में आने से पहले अधिगृहीत की गई थी तथा मूल अधिनियम के तहत मुआवजा पहले ही तय किया जा चुका है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ”यह अधिग्रहण 1996 के कानून के तहत हुआ था और 11 करोड़ रुपये का मुआवज़ा तय किया गया था। उस समय टीडीआर की अवधारणा मौजूद नहीं थी।
धारा 14बी, जो टीडीआर की अनुमति देती है, केवल 2004 में पेश की गई थी और यह केवल तभी लागू होती है जब भूमि मालिक स्वेच्छा से अपनी ज़मीन सौंपते हैं, न कि जब राज्य इसे अनिवार्य रूप से अधिगृहीत करता है।” यह विवाद 1997 से शुरू हुआ जब राजपरिवार ने 1996 के अधिनियम की वैधता को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी और यह याचिका अब भी लंबित है। इस बीच, राज्य सरकार ने पैलेस ग्राउंड्स के एक हिस्से पर सड़क विकसित करने की बात कही, जिसके कारण कई मुकदमे शुरू हो गए और अंततः अवमानना याचिकाएं दायर की गईं। वरिष्ठ अधिवक्ता ने अवमानना के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि पीठ धारा 14बी के तहत उनकी कानूनी आपत्तियों का समाधान करने में विफल रही। उन्होंने कहा, ”आप अंतिम निर्णय में संशोधन नहीं कर सकते या अवमानना कार्यवाही के माध्यम से नए अधिकार नहीं जोड़ सकते।” पीठ ने सवाल किया कि क्या मौजूदा पीठ समन्वय पीठ द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील पर विचार कर सकती है।
सिब्बल ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार पहले के आदेश को पलटने का आग्रह नहीं कर रही है, बल्कि केवल यह सुनिश्चित करना चाहती है कि लंबित अपील के ढांचे के भीतर उसकी कानूनी चिंताओं का उचित ढंग से समाधान किया जाए। टीडीआर प्रमाणपत्र भूमि अधिग्रहण में इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रणाली है, जिसका उपयोग भूमि मालिकों को तब मुआवजा देने के लिए किया जाता है, जब उनकी संपत्ति सड़क चौड़ीकरण या बुनियादी ढांचे के विकास जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं के लिए ली जाती है।