शुल्क अब हथियार हैं, भारत वैश्विक दबाव के आगे नहीं झुकेगा :कृषि मंत्री चौहान

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कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति में जहां व्यापार एवं शुल्क हथियार बन गए हैं… भारत अपने राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश को वैश्विक बाजारों पर निर्भर हुए बिना खाद्य सुरक्षा को और मजबूत करना चाहिए। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की 120वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत, ‘विश्व में भाई’ की भूमिका निभाने में विश्वास रखता है और दुनिया के बारे में चिंतित है लेकिन देश का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा, ” ऐसी अस्थिर भू-राजनीतिक स्थिति में जहां राष्ट्र एक-दूसरे से लड़ रहे हैं, जहां व्यापार एवं शुल्क को हथियार माना जा रहा है, जहां राष्ट्र अपनी मनमानी से दुनिया पर शासन कर रहे हैं… ऐसी स्थिति में, भारत को अपना रास्ता चुनना होगा। हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे। अपने देश के हितों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है और यह वैश्विक शांति के लिए आवश्यक है। भारत जैसे जिम्मेदार देश को आगे आना चाहिए।” मंत्री ने कहा कि भारत की 46 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर है। इस पर निर्भरता को कम करने के लिए जारी प्रयासों के बावजूद इस क्षेत्र को मजबूत करना महत्वपूर्ण हो जाता है।

उन्होंने कहा, ” मौजूदा स्थिति में खाद्यान्न के लिए वैश्विक बाजार पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। इसलिए हमें आत्मनिर्भर बनना होगा।” पीएल480 कार्यक्रम के तहत अमेरिकी खाद्य सहायता पर भारत की पिछली निर्भरता का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा कि देश ने एक लंबा सफर तय किया है। उन्होंने कहा, ” एक समय ऐसा भी था जब अतीत में किसी प्रधानमंत्री को लोगों से सप्ताह में एक बार उपवास रखने के लिए कहना पड़ता था। अब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। गोदाम इस समय चावल और गेहूं से भरे हुए हैं।” चौहान ने न केवल खाद्य सुरक्षा के लिए बल्कि किसानों की आय सुनिश्चित करने के लिए भी कृषि को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए छह प्रमुख क्षेत्रों में काम कर रही है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, ” चावल और गेहूं के मामले में हम वैश्विक औसत पर हैं, लेकिन दलहन एवं तिलहन के मामले में हम पीछे हैं। हमें दलहन और खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनना चाहिए।” उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) बेहतर गुणवत्ता वाले बीज विकसित करने के लिए काम कर रही है। चूंकि भारत में आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों की अनुमति नहीं है, इसलिए ‘हाइब्रिड’ बीज विकसित करने के लिए जीनोम संपादन विधि का उपयोग किया जा रहा है और इसमें ”उत्साहजनक सफलता” मिल रही है। चौहान ने छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए मशीनीकरण और खाद्य प्रसंस्करण को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि ‘विकसित भारत’ के निर्माण में सभी की भूमिका है।