उच्चतम न्यायालय ने दो नये निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली अर्जियां बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव नजदीक हैं और इससे ‘अव्यवस्था और अनिश्चितता’ की स्थिति बनेगी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यालय शर्तें) अधिनियम, 2023 पर भी अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह अधिनियम, 2023 की वैधता को चुनौती देने वाली मुख्य याचिकाओं पर गौर करेगी। पीठ ने केंद्र से छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई पांच अगस्त को नियत की। नये कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से पीठ ने कहा, ‘इस समय हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते। इससे अव्यवस्था और अनिश्चितता की स्थिति पैदा होगी और हम अंतरिम आदेश के माध्यम से इस पर रोक नहीं लगा सकते। नये निर्वाचन आयुक्तों पर कोई आरोप नहीं हैं।’
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से निर्वाचन आयुक्तों की हालिया नियुक्ति पर लगाने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा, ‘हम नियुक्ति पर रोक की अर्जियों को खारिज करते हैं।’ यह रेखांकित करते हुए कि निर्वाचन आयुक्तों को स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए, पीठ ने कहा कि आजादी के बाद से चुनाव होते रहे हैं और देश में अतीत में बहुत अच्छे निर्वाचन आयुक्त रहे हैं। इसने कहा कि पहले निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति कार्यपालिका द्वारा की जाती थी और अब उन्हें एक कानून के तहत नियुक्त किया जा रहा है। न्यायालय ने कहा कि इसकी संविधान पीठ के 2023 के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया कि निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति वाली चयन समिति में न्यायपालिका से एक सदस्य होना चाहिए। इसने कहा कि 2023 के फैसले का मकसद संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक की अवधि के लिए था, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश को शामिल करते हुए एक चयन समिति गठित करने का प्रस्ताव किया गया था। सुनवाई के दौरान पीठ ने दो नए निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर केंद्र से सवाल किया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति पर विचार करने के लिए चयन समिति को और अधिक समय दिया जाना चाहिए था। पीठ ने कहा, ‘निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनी खोज समिति को उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि को समझने के लिए उचित समय दिया जाना चाहिए था।’ सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को हाल में निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले की गई है। नए कानून के तहत, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति में नेता प्रतिपक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होते हैं। उच्चतम न्यायालय ने दो मार्च 2023 को दी गई अपनी व्यवस्था में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।