रूस-यूक्रेन युद्ध के दो साल: अंतहीन संघर्ष और वैश्विक असर

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अभिषेक उपाध्याय। रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए अब दो साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इस संघर्ष का अंत अब भी नजर नहीं आता। फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले ने न केवल यूरोप बल्कि पूरे विश्व की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा ढांचे को गहराई से प्रभावित किया।

शुरुआत में रूस ने इसे “विशेष सैन्य अभियान” बताया था, लेकिन जल्द ही यह युद्ध एक पूर्ण पैमाने की जंग में बदल गया। यूक्रेन की राजधानी कीव से लेकर डोनबास और खेरसॉन जैसे क्षेत्रों तक भीषण लड़ाई हुई। लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े और हजारों निर्दोष नागरिकों की जानें गईं।

अमेरिका और यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद देकर रूस पर दबाव बनाने की कोशिश की, जबकि रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद अपने ऊर्जा निर्यात के जरिये अर्थव्यवस्था को संभाले रखा। इस दौरान भारत सहित कई देशों ने तटस्थ रुख अपनाते हुए शांति और बातचीत का आह्वान किया।

युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर छोड़ा। ऊर्जा संकट, खाद्य आपूर्ति की कमी और मुद्रास्फीति में वृद्धि जैसे प्रभाव दुनिया भर में महसूस किए गए। रूस से तेल और गैस की निर्भरता कम करने के लिए यूरोप ने वैकल्पिक स्रोत तलाशे, वहीं एशिया में रूस के ऊर्जा निर्यात में वृद्धि हुई।

दो साल बाद भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। यूक्रेन अब भी अपने खोए क्षेत्रों को वापस पाने की कोशिश में है, जबकि रूस अपने कब्जे को स्थायी करने में जुटा है। यह युद्ध आज आधुनिक युग के सबसे लंबे और जटिल भू-राजनीतिक संघर्षों में से एक बन चुका है, जो विश्व शांति और स्थिरता के लिए गहरी चुनौती बना हुआ है।