49वें सीजेआई होंगे उदय उमेश ललित, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ

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उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने भारत के 49वें प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शनिवार को शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित संक्षिप्त समारोह में न्यायमूर्ति ललित को शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति ललित दूसरे ऐसे सीजेआई हैं जो बार से पदोन्नत होकर सीधे शीर्ष अदालत पहुंचे हैं। न्यायमूर्ति एस. एम. सीकरी पहले ऐसे सीजेआई थे, जो 1964 में बार से सीधे शीर्ष अदालत पहुंचे थे। वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे। प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति ललित का कार्यकाल 74 दिन का होगा। वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे। न्यायमूर्ति ललित के बाद सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ अगले प्रधान न्यायाधीश हो सकते हैं। शपथ ग्रहण करने के बाद न्यायमूर्ति ललित ने शपथ रजिस्टर पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, बधाई हो। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और किरेन रीजीजू समेत कई केंद्रीय मंत्री इस समारोह में शामिल हुए। न्यायमूर्ति ललित से पहले प्रधान न्यायाशीध के रूप में सेवाएं देने वाले न्यायमूर्ति एन वी रमण भी इस मौके पर मौजूद थे।

न्यायमूर्ति ललित ने शपथ ग्रहण करने के बाद अपने 90-वर्षीय पिता एवं बम्बई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश उमेश रंगनाथ ललित समेत परिवार के अन्य बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। न्यायमूर्ति ललित कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें से एक फैसले में मुसलमानों में तीन तलाक के प्रचलन को अवैध और असंवैधानिक करार दिया गया था। तेरह अगस्त, 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने से पहले वह वरिष्ठ अधिवक्ता थे। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे. एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर छह महीने के लिए फैसले को टालने के पक्ष में थे और सरकार को इस मामले में एक कानून लाने की सलाह दे रहे थे, लेकिन न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति ललित ने तीन तलाक की प्रथा को संविधान का उल्लंघन करार दिया था। न्यायमूर्ति खेहर, न्यायमूर्ति जोसेफ और न्यायमूर्ति नरीमन अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

हाल ही में, न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के काम की शुरुआत के सामान्य समय से एक घंटे पहले सुबह 9.30 बजे इकट्ठी हुई थी। न्यायमूर्ति ललित ने तब कहा था, ”मेरे विचार से आदर्श रूप से हमें सुबह नौ बजे बैठना चाहिए। मैंने हमेशा कहा है कि अगर हमारे बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम नौ बजे क्यों नहीं आ सकते। न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने 22 अगस्त को आम्रपाली समूह के घर खरीदारों के मामले की सुनवाई के लिए तीन सितंबर (शनिवार) को सुबह 10.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक का समय निर्धारित किया है, जबकि शीर्ष अदालत में शनिवार को कामकाज नहीं होता है।

न्यायमूर्ति रमण को विदाई देने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से आयोजित एक समारोह में न्यायमूर्ति ललित ने शुक्रवार को कहा था कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि शीर्ष अदालत की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाना है और ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जितनी जल्दी हो सके, बड़ी पीठें गठित हों, ताकि मुद्दों का तुरंत समाधान किया जा सके। न्यायमूर्ति ललित ने कहा था, ”इसलिए हम यह कहने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि हां, हमारे पास कम से कम एक संविधान पीठ है, जो पूरे वर्ष काम करेगी। उन्होंने कहा था कि वह जिन क्षेत्रों में काम करना चाहते हैं, उनमें से एक संविधान पीठों के समक्ष मामलों को सूचीबद्ध करना और विशेष रूप से तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने वाले मामलों से संबंधित विषय हैं।

मामलों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा था, मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम मामलों को सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को यथासंभव सरल, स्पष्ट और पारदर्शी बनाने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। अत्यावश्यक मामलों का उल्लेख करने के संबंध में न्यायमूर्ति ललित ने कहा था कि वह निश्चित रूप से इस पर गौर करेंगे। उन्होंने कहा था, ”मैं पीठ पर अपने सभी विद्वान सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श करूंगा और हम निश्चित रूप से बहुत जल्द इसे सुलझा लेंगे। इससे आपके पास एक स्पष्ट व्यवस्था होगी, जहां संबंधित अदालतों के समक्ष किसी भी अत्यावश्यक मामले का स्वतंत्र रूप से उल्लेख किया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति ललित के कार्यकाल में संविधान पीठ के मामलों समेत कई अहम मामले शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के लिए आने की संभावना है। शीर्ष अदालत ने हाल में अधिसूचित किया था कि 29 अगस्त से पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध 25 मामलों पर सुनवाई शुरू की जाएगी।

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