हमारे पास रहने के लिए एक ही ग्रह है, दूसरा नहीं : उप राष्ट्रपति धनखड़

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सभापति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि हमारे पास रहने के लिए एक ही ग्रह (पृथ्वी) है और दूसरा ग्रह नहीं है। उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान ग्रीन इंडिया मिशन को लेकर पूछे गए पूरक प्रश्नों के जवाब के दौरान सभापति धनखड़ ने कहा ”हमारे पास एक ही ग्रह ‘पृथ्वी’ है और दूसरा ग्रह नहीं है।” उन्होंने कहा कि हम पहले जलवायु को समझें और फिर जलवायु परिवर्तन को। सभापति ने यह भी कहा कि उन्होंने सदन के हर सदस्य से 200 पेड़ लगाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा ”मैंने हर सदस्य से 200 पेड़ लगाने का आग्रह किया था। मैं इसका पालन कर रहा हूं। मैं मान कर चल रहा हूं कि सदस्य यह काम कर रहे होंगे। इसकी जानकारी सचिवालय को होगी।” धनखड़ ने कहा ”मैं जहां भी जाता हूं, कम से कम दो पेड़ जरूर लगाता हूं।

तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने अपने पूरक प्रश्न के माध्यम से जानना चाहा था कि क्या देश में हरित आवरण घट रहा है। इस पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि हरित आवरण घट नहीं रहा बल्कि बढ़ रहा है। इसी सिलसिले में धनखड़ ने अपनी टिप्पणी की। यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल शुरू की है। उनके अनुसार, यह पहल देश में हरित आवरण बढ़ाने में मददगार होगी। उन्होंने कहा ”यह धरती हमें सब कुछ देती है और इसे बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान पूरे देश में चल रहा है जिसके तहत, खास तौर पर स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाए जा रहे हैं।” प्रश्नकाल में ही बीजद के निरंजन बिशी ने कहा कि ओडिशा में गंध मार्दन पहाड़ियों में दुर्लभ औषधीय पौधे तथा जड़ी बूटियां पाई जाती हैं। उन्होंने पूछा कि क्या गंध मार्दन पहाड़ियों को राष्ट्रीय जैवविविधता धरोहर स्थल घोषित किया जाएगा। यादव ने कहा कि गंध मार्दन पहाड़ियों देश के प्रमुख बायोस्फीयर में से एक है और इसके अध्ययन के लिए विशेष कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार गंध मार्दन पहाड़ियों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

इसी पार्टी की सुलता देव ने ओडिशा के मयूरभंज जिले में सिमलीपाल में पाए जाने वाले ‘मिलेनिस्टिक’ प्रजाति के बाघ के संरक्षण के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि काले और सफेद रंग की यह प्रजाति दुनिया में कहीं नहीं मिलती, यह केवल सिमलीपाल में ही पाई जाती है। इसके जवाब में भूपेंद्र यादव ने कहा कि पिछले वर्ष बाघ संरक्षण के लिए अभियान शुरु किए जाने के 50 साल पूरे हुए और अब देश में 53 से अधिक बाघ संरक्षण अभ्यारण्य हैं। उन्होंने कहा कि सिमलीपाल विशिष्ट टाइगर रिजर्व है जहां खास ‘मिलेनिस्टिक’ प्रजाति के बाघ पाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इन बाघों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के माध्यम से कार्य जारी है। ‘एनटीसीए’ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है, जिसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत किया गया है। यादव ने बताया कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए शुरू किए गए भारत के आठ मिशनों में से एक ‘राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन’ है। फरवरी 2014 में शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य वन कवर को सुधारना, वन क्षेत्र की पारिस्थितिकी को व्यवस्थित करना और देश में ग्रीन कवर को बढ़ाना आदि हैं। यादव ने कहा कि ग्रीन इंडिया मिशन के तहत 17 राज्यों को एक लाख 55 हजार 130 करोड़ दिए गए हैं।