नई दिल्ली। हरियाणा द्वारा यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से पानी का बहाव किए जाने के साथ ही दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 206 मीटर से भी ऊपर जाने के बाद अब घटने लगा है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने उम्मीद जतायी है कि अगले दो से तीन दिन में यमुना का जलस्तर और कम होगा क्योंकि दिल्ली तथा नदी के जल संचय क्षेत्र में ज्यादा बारिश नहीं हो रही है। दिल्ली में मंगलवार को यमुना में बाढ़ आ गई थी जिसके कारण निचले इलाकों में रहने वाले लगभग साढ़े छह हजार लोगों को निकालने के साथ ही पुराने यमुना पुल पर रेल यातायात निलंबित करना पड़ा था।
नदी में सुबह सात बजे पानी का स्तर 206.59 मीटर तक बढ़ गया था जो कि खतरे के निशान (205.33 मीटर) से अधिक था और अगस्त 2019 के बाद से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर था। नदी में पानी का स्तर सुबह आठ बजे घटकर 206.58 मीटर रह गया। इसके बाद अपराह्न तीन बजे यमुना के जलस्तर में और गिरावट आई तथा वह घटकर 206.41 मीटर पर आ गया। केंद्रीय जल आयोग द्वारा जारी एक पूर्वानुमान में कहा गया है कि रात नौ बजे तक जल स्तर गिरकर 206.05 मीटर तक जाने का अनुमान है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्होंने नदी का जलस्तर सामान्य होने तक, निचले इलाकों में लोगों को उनके घरों में वापस जाने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में सिविल डिफेन्स कार्यकर्ताओं को तैनात किया है। दिल्ली के इन इलाकों में लगभग 37 हजार लोग रहते हैं।
पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी अनिल बांका ने कहा, “ज्यादातर लोग स्वयं सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। दिल्ली प्रशासन ने उनमें से लगभग साढ़े छह हजार को निकाला और उन्हें सामुदायिक केंद्रों, स्कूलों तथा अस्थायी शिविरों में भेज दिया गया है। अनिल बांका ने कहा, ”हमें उम्मीद है कि दो से तीन दिनों में पानी सामान्य स्तर पर आ जाएगा। इसके बाद, ये लोग अपने स्थानों पर वापस जा सकते हैं। हालांकि, यमुना के किनारे की जमीन दिल्ली विकास प्राधिकरण, राजस्व विभाग और निजी व्यक्तियों की है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में नदी के आस-पास के मैदानों के एक बड़े हिस्से पर अतिक्रमण हुआ है। नदी के जल संचय क्षेत्र में 21 सितंबर से 25 सितंबर के बीच भारी बारिश के कारण, दिल्ली में नदी का जलस्तर सोमवार रात को खतरे के निशान (205.33 मीटर) से अधिक हो गया था और मंगलवार सुबह 206 मीटर से ज्यादा पर पहुंच गया था।
आम तौर पर यमुना में जुलाई या अगस्त के महीने में बाढ़ आती है जब मॉनसून के चलते अधिकतम वर्षा होती है। पिछले दो महीने में यह दूसरी बार है जब लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकाला जा रहा है। यमुना में 12 अगस्त को पानी का स्तर खतरे के निशान से ऊपर गया था जिसके बाद निचले इलाकों से लगभग सात हजार लोगों को निकाला गया था। अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा में हथिनीकुंड बैराज से सुबह नौ बजे 25,400 क्यूसेक जल छोड़ा गया। यह सोमवार को सुबह छह बजे 2,95,212 था जो कि इस साल अब तक का सबसे अधिक था। एक क्यूसेक का अर्थ है 28.32 लीटर जल प्रति सेकंड छोड़ा जाना।
आम तौर पर हथिनीकुंड बैराज में प्रवाह दर 352 क्यूसेक होती है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद पानी का बहाव बढ़ जाता है। बैराज से छोड़े गए पानी को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने में आमतौर पर दो से तीन दिन लगते हैं। यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं। गौरतलब है कि 1978 में यमुना नदी का जलस्तर 207.49 मीटर के सर्वकालिक रिकॉर्ड तक पहुंच गया था। जबकि 2013 में यह बढ़कर 207.32 मीटर हो गया था।
यह सोमवार को सुबह छह बजे 2,95,212 था जो कि इस साल अब तक का सबसे अधिक था। एक क्यूसेक का अर्थ है 28.32 लीटर जल प्रति सेकंड छोड़ा जाना। आम तौर पर हथिनीकुंड बैराज में प्रवाह दर 352 क्यूसेक होती है, लेकिन जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद पानी का बहाव बढ़ जाता है। बैराज से छोड़े गए पानी को राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंचने में आमतौर पर दो से तीन दिन लगते हैं। यमुना नदी प्रणाली के जलग्रहण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के कुछ हिस्से शामिल हैं। गौरतलब है कि 1978 में यमुना नदी का जलस्तर 207.49 मीटर के सर्वकालिक रिकॉर्ड तक पहुंच गया था। जबकि 2013 में यह बढ़कर 207.32 मीटर हो गया था।