सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के विवाद को संविधान पीठ को सौंपने की केंद्र सरकार की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद पर तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ सुनवाई करेगी। अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम-2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर भी नोटिस जारी किया।
दिल्ली सरकार ने दावा किया कि इस अधिनियम ने नवनिर्वाचित सरकार पर दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ा दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार घोषित करके व्यापक अधिकार देता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने खंडपीठ के समक्ष कहा कि उनका मुवक्किल सरकार है लेकिन वह अधिकारियों का तबादला नहीं कर सकती।
इस मामले में अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद की जाएगी
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण (दोनों सेवानिवृत्त ) की पीठ ने फरवरी 2019 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार की शक्तियों के सवाल पर एक विभाजित फैसला दिया था। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को तीन न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया। इससे पहले जुलाई 2018 में एक संविधान पीठ ने कहा था कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार के मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं।