Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी, ‘सार्वजनिक भूमि से अवैध ढांचे को हटाने के लिए सरकार है बाध्य’

0
190

उच्च न्यायालय ने जोर देकर कहा है कि सरकार और इसके अधिकारी सार्वजनिक भूमि पर सभी अनधिकृत निर्माणों को हटाने के लिए बाध्य हैं। न्यायालय ने कहा है कि सरकार और सक्षम निकाय सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण और अनाधिकृत निर्माण को हटाने के अपने वैधानिक जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने रानी झांसी रोड पर अवैध धार्मिक ढ़ांचे को हटाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है।

उन्होंने कहा है कि इस तरह के अतिक्रमण या अनाधिकृत निर्माण भले ही अनधिकृत निर्माण धार्मिक भवन, पूजा स्थल के रूप में या उन्हें धार्मिक भवन का रंग दिया गया हो, लेकिन अधिकारी अपने दायित्वों से भाग नहीं सकता है। इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से अधिवक्ता ने न्यायालय को 5 मई 2014 के जारी सरकारी सर्कुलर के अनुसार धार्मिक समिति ने संबंधित निगम को 7 दिसंबर 2021 के एक पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी थी। साथ ही कहा कि निगम से अभी तक रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है। दूसरी ओर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम ने न्यायालय को बताया कि धार्मिक समिति को सभी जरूरी जानकारी दे दी गई है।

साथ ही कहा कि यदि कोई अपेक्षित जानकारी रह गई हो तो तो जल्द उसकी भी जानकारी दे दी जाएगी। वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि सरकार और नगर निगम के जवाब से स्पष्ट है कि उन्होंने अनधिकृत निर्माण को हटाने के प्रति दिलचस्पी नहीं है। उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि सार्वजनिक भूमि पर धार्मिक ढांचे के रूप में अनधिकृत निर्माण मौजूद है।

जस्टिस वर्मा ने दिसंबर, 2021 में जस्टिस रेखा पल्ली द्वारा पारित डिफेंस कॉलोनी इलाके में सड़क पर अतिक्रमण कर बनाए गए मंदिर को हटाने के लिए पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि 2014 में जारी सर्कुलर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अतिक्रमणों को एक संरचित तरीके से और अप्रिय घटनाओं या कानून के तहत हटाया जाए। मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here