तेजी से बढ़ती गर्मी के बीच बिजली के मसले पर दिल्ली वालों को उच्च न्यायालय से राहत मिल गई। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली के हिस्से की बिजली हरियाणा को आवंटित करने पर रोक लगाने के अपने 30 मार्च के आदेश की अवधि 29 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने यह आदेश तब दिया जब केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का वक्त देने की मांग की।
उन्होंने सरकार को जवाब देने के लिए वक्त देते हुए कहा कि दिल्ली के हिस्से की बिचली हरियाणा को पुन:आवंटित करने के 29 मार्च के केंद्र के आदेश पर रोक जारी रहेगी। उच्च न्यायालय ने 30 मार्च को केंद्र सरकार के उस आदेश पर रोक लगा थी, जिसके तहत थर्मल पावर स्टेशन, दादरी-2 द्वारा उत्पादित बिजली के राजधानी दिल्ली से हरियाणा राज्य को पुन: आवंटित कर दिया गया था। न्यायालय ने यह आदेश तब दिया था जब बिजली वितरण कंपनी ने कहा था कि यदि इस आदेश को लागू किया गया तो दिल्ली की 23 फीसदी जनता अगले 24 घंटे तक बिजली से वंचित हो जाएंगे।
जस्टिस वर्मा ने बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड की ओर से केंद्र सरकार द्वारा मंगलवार को जारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया था। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने 29 मार्च 2022 के आदेश जारी कर दादरी-2 थर्मल पावर स्टेशन द्वारा उत्पन्न बिजली के कथित तौर दिल्ली सरकार द्वारा समर्पण किए जाने का हवाला देकर इसे हरियाणा राज्य को स्थानांतरित कर दिया था।
बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने न्यायालय को बताया कि यदि केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश को लागू किया जाता है, तो अगले 24 घंटों में दिल्ली की 23 फीसदी आबादी बिजली से वंचित हो जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश में दिल्ली सरकार द्वारा जिस बिजली के समर्पण की बात है, वह तथ्य पूरी तरह से विवादित है। उन्होंने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता कंपनी को इस थर्मल स्टेशन ने आवंटित बिजली दिल्ली विधुत नियामक आयोग से मंजूर की गई है।