उपमुख्यंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि भाजपा को ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म से प्यार है, जबकि हमें कश्मीरी पंडितों से प्यार है। कश्मीरी पंडितों पर झूठी राजनीति करने के बजाए भाजपा शासित केंद्र सरकार को उनके पुर्नवास पर काम करना चाहिए। सिसोदिया ने ये बातें दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार को कश्मीरी पंडितों के ऊपर बनी फिल्म पर चर्चा के दौरान कही। भाजपा विधायक अजय महावर ने सदन में इस फिल्म के टैक्स फ्री करने की मांग उठाई थी। जिसपर आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने इसपर चर्चा की शुरूआत की।
चर्चा पर जवाब देते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के नाम पर राजनीति की रोटी सेंकने वाली भाजपा ‘द कश्मीर फाइल्स’पर तो बहुत चीखती-चिल्लाती रही, लेकिन जब दिल्ली विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के भलाई की बात आई है तो सदन से उठकर भाग गई। भाजपा का यही दोहरा चरित्र है। सिसोदिया ने कहा कि भाजपा केवल राजनीति करती है हम कश्मीरी पंडितों के दुःख-दर्द व उनके कल्याण की बात करते है।
कश्मीरी पंडितों की मांग पूरी करें भाजपा
उन्होंने कहा कि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार, कश्मीरी पंडितों पर झूठी राजनीति करने के बजाय उनकी बेहतरी के लिए तीन मांगों को पूरा करें। केंद्र सरकर विस्थापितों का पुनर्वास करें, फिल्म से कमाएं 200 करोड़ रुपए कश्मीरी पंडितों के कल्याण पर खर्च करें और पूरा देश कश्मीरी पंडितों के दुःख-दर्द से वाकिफ हो सके, ‘द कश्मीर फाइल्स’ को इसलिए यू-ट्यूब पर डाले। हम भी चाहते है कि कश्मीरी पंडितों का दर्द पूरा देश महसूस करें।
32 साल भी विस्थापितों को पुनर्वास क्यों नहीं हो रहा
मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज भाजपा के ऊपर यह बहुत बड़ा सवाल है कि 32 साल बाद भी कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में विस्थापित होकर क्यों रहना पड़ रहा है। भाजपा हमेशा अपने घोषणा पत्रों में लिखती रही है कि सत्ता में आने के बाद कश्मीरी विस्थापितों की मदद कर उनका पुनर्वास करने का काम करेगी, लेकिन पिछले 8 सालों से केंद्र सरकार में है और कुछ समय से कश्मीर में सरकार में होने के बाद भी भाजपा आज तक यह क्यों नहीं करवा सकी। क्या कश्मीरी पंडित आज कश्मीर में अपने घर में जाकर उसी स्वतंत्रता के साथ रह सकते है, जैसे 1989 से पहले रहते थे। यदि 32 साल बाद भी ऐसा नहीं हो पाया तो केंद्र सरकार की घोर निंदा होनी चाहिए।
केजरीवाल सरकार ने राजनीति के बजाएं आर्थिक मदद के नौकरी दी
सिसोदिया ने कहा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली में कश्मीरी पंडितों के भलाई की काम करती है। हम सरकार में आने के बाद लंबे समय से 200 कश्मीरी शिक्षकों को नियमित किया, जो 25 सालों से अनुबंध पर काम कर रहे थे। उसके बाद हमने बिना दस्तावेज के बाद भी पेंशन की व्यवस्था की। आज भी विस्थापित कश्मीरी पंडितों के परिवार में हर सदस्य को प्रतिमाह 3250 रूपये देते है।