दिल्ली सरकार ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के निर्वाचन आयुक्त के रूप में मुख्य सचिव विजय कुमार देव की नियुक्ति का दिल्ली उच्च न्यायालय में बचाव करते हुए कहा कि नियुक्ति कानून के अनुसार की गई। साथ ही, सरकार ने कहा कि यह कहना अपमानजनक है कि यह ‘साठगांठ’ के तहत किया गया। नियुक्ति को अवैध और अनुचित बताने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग की याचिका के जवाब में दिल्ली सरकार ने एक हलफनामा दाखिल किया है। इसमें दिल्ली सरकार ने बताया है कि अधिकारी 21 अप्रैल को निर्वाचन आयुक्त के रूप में पद भार संभालने वाले हैं, जब वह सरकारी सेवक के रूप में सेवारत नहीं रहेंगे क्योंकि 20 अप्रैल से स्वैच्छिक इस्तीफे के उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है।
इसमें कहा गया कि याचिका का उद्देश्य तीनों नगर निगमों के चुनाव को रोकना और अधिकारी की प्रतिष्ठा को धूमिल करना प्रतीत होता है और इस तरह इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। पिछले साल दिसंबर में अदालत ने उस याचिका पर दिल्ली सरकार का रुख जानना चाहा था, जिसमें आम आदमी पार्टी सरकार से 25 नवंबर की अपनी अधिसूचना को तुरंत वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इसमें कहा गया था कि 21 अप्रैल के प्रभाव से एमसीडी के लिए निर्वाचन आयुक्त के रूप में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव की नियुक्ति को अनुचित तरीके से निर्धारित किया गया था। अधिवक्ता शशांक देव सुधी के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया कि कानून के स्थापित उन सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए नियुक्ति की गई, जो यह कहता है कि निर्वाचन आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण सरकारी पद की पेशकश तटस्थ और गैर राजनीतिक व्यक्ति को की जानी चाहिए।