प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नया समन जारी कर उनसे पूछताछ के लिए 26 फरवरी को उसके समक्ष पेश होने को कहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियिम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत सातवां समन जारी करते हुए केजरीवाल की इस दलील को खारिज कर दिया कि उनकी पेशी के लिए नया नोटिस देना गलत है क्योंकि यह मामला एक स्थानीय अदालत के विचाराधीन है। केजरीवाल समन को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए अभी तक ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए हैं और उन्होंने ईडी को समन वापस लेने के लिए पत्र लिखा है।
ईडी ने हाल में इस मामले में उसके समन की अवज्ञा करने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल (55) के खिलाफ एक नयी शिकायत दर्ज करायी थी। अदालत ने पिछले सप्ताह केजरीवाल को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने की छूट दी थी और मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख तय की थी। अदालत ने यह भी कहा था कि शिकायत के विषय और रिकॉर्ड पर रखी गई सामग्री से, प्रथम दृष्टया यह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174 के तहत अपराध बनता है और आरोपी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कार्यवाही के लिए पर्याप्त आधार हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ईडी ने दावा किया कि स्थानीय अदालत ने प्रथम दृष्टया केजरीवाल को इस मामले में पूर्व में जारी नोटिसों की अवज्ञा करने का दोषी पाया है, जिसके कारण उन्हें सातवां समन जारी करने की आवश्यकता पड़ी है।
सूत्रों ने बताया था कि अदालत के सामने सवाल समन की वैधता का नहीं बल्कि केजरीवाल द्वारा जानबूझकर पूर्व में जारी समन की अवज्ञा करने का गैरकानूनी कृत्य है। ईडी ने इस मामले में दाखिल किए आरोपपत्रों में कई बार केजरीवाल के नाम का उल्लेख किया है। एजेंसी ने कहा कि आरोपी अब रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने के संबंध में उनके संपर्क में थे। ईडी अभी तक इस मामले में ‘आप’ नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह के अलावा पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर को गिरफ्तार कर चुकी है। ईडी ने अपने आरोपपत्र में दावा किया कि ‘आप’ ने ‘अपराध से मिली करीब 45 करोड़ रुपये की आय’ का इस्तेमाल गोवा चुनाव प्रचार अभियान में किया।