दिल्ली विधानसभा ने सोमवार को विधायकों के वेतन एवं भत्तों में 66 फीसद से अधिक की वृद्धि से संबंधित विधेयकों को मंजूरी प्रदान कर दी। देश में दिल्ली के विधायकों की सबसे कम तनख्वाह है। मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और विपक्ष के नेता के वेतन में वृद्धि से संबंधित पांच अलग-अलग विधेयक सदन में पेश किये गये और सदस्यों ने उन्हें पारित किया। उन्हें अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने ट्वीट किया, आज दिल्ली विधानसभा ने पिछली वृद्धि के 11 साल बाद मंत्रियों, विधायकों, मुख्य सचेतक, विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के वेतन एवं भत्तों को बढ़ाने के लिए पांच विधेयक पारित किये। ये विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद प्रभाव में आ जाएंगे। विधानसभा में चर्चा के दौरान सदस्यों ने कहा कि उनका वेतन बढ़ती महंगाई और विधायकों द्वारा किये जाने वाले कार्यों के अनुरूप होना चाहिए।
वित्त विभाग का कामकाज संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, प्रतिभाशाली लोगों को राजनीति में आने के वास्ते प्रेरित करने के लिए पारितोषक हो। कॉरपोरेट को तनख्वाह की वजह से अच्छे लोग मिलते हैं। भाजपा विधायक एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने भी इस वेतन वृद्धि का समर्थन किया। दिल्ली में विधायक को वेतन एवं भत्ते के तौर पर 54,000 रूपये प्रति माह मिलते हैं जो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद बढ़कर 90,000 रूपये प्रति माह हो जायेंगे।
आधिकारिक आंकड़े के अनुसार एक विधायक को फिलहाल 12,000 रूपये प्रतिमाह वेतन मिलता है जो राष्ट्रपति से विधेयक को मंजूरी मिलने पर बढ़कर 30,000 हो जाएगा। निर्वाचन भत्ता 18,000 रूपये से बढ़कर 25,000 रूपये हो जाएग तथा वाहन भत्ता 6,000 रूपये से बढ़कर 10,000 रूपये हो जाएगा। इसी प्रकार टेलीफोन भत्ता अब 8,000 रूपये की जगह 10,000 रूपये मिलेगा तथा सचिवालय भत्ता 10000 रूपये से बढ़कर 15000 रूपये हो जाएगा।
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