नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व शीर्ष अधिकारियों रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण ने स्टॉक बाजार के कर्मचारियों के फोन को होने वाली बाचतीत को अवैध रूप कैद कर उनकी जासूसी करने के लिए मुंबई पुलिस के सेवानिवृत्त पुलिस आयुक्त संजय पांडे द्वारा स्थापित एक कंपनी की सेवा ली थी। यह आरोप सीबीआई ने इनके खिलाफ अपनी ताजा प्राथमिकी में लगाए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआई ने शुक्रवार को 18 शहरों में समन्वित तलाशी अभियान शुरू किया।
अधिकारियों ने कहा कि जांच एजेंसी ने प्राथमिकी में पांडे और उनकी दिल्ली स्थित कंपनी, एनएसई के पूर्व एमडी और सीईओ रवि नारायण और रामकृष्ण, कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि वाराणसी और प्रमुख (परिसर) महेश हल्दीपुर एवं अन्य नामजद किया है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2009-17 के दौरान नारायण, रामकृष्ण, वाराणसी और हल्दीपुर ने एनएसई कर्मचारियों के टेलीफोन को होने वाली बातचीत को अवैध रूप से कैद करने की साजिश रची, जिसके लिए उन्होंने पांडे की कंपनी आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की सेवा ली । इस कंपनी की स्थापना वर्ष 2001 में पांडे ने की थी।
नारायण और रामकृष्ण फिलहाल को-लोकेशन घोटाले के सिलसिले में न्यायिक हिरासत में हैं। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि पांडे की कंपनी को अवैध टैपिंग के लिए 4.45 करोड़ रुपये मिले, जिसे एनएसई में ‘साइबर कमजोरियों के आवधिक अध्ययन’ के रूप में छिपाया गया था। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने शेयर बाजार के वरिष्ठ प्रबंधन को टैप की गई बातचीत के टेप भी उपलब्ध कराए।
सीबीआई के एक बयान में कहा गया,”एनएसई के शीर्ष अधिकारियों ने उक्त निजी कंपनी के पक्ष में समझौता और कार्य आदेश जारी किए और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत अपने कर्मचारियों के फोन कॉल को मशीन लगाकर अवैध रूप से टैप किया। एजेंसी ने आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के तत्कालीन निदेशकों संतोष पांडे, आनंद नारायण, अरमान पांडे, मनीष मित्तल, पूर्व वरिष्ठ सूचना सुरक्षा विश्लेषक नमन चतुर्वेदी और अरुण कुमार सिंह को भी आरोपी के रूप में सूचीबद्ध किया है।
उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान मुंबई, पुणे, दिल्ली, लखनऊ, कोटा, चंडीगढ़ में चलाया गया, जिसकी शुरुआत शुक्रवार सुबह आरोपियों के परिसर से शुरू हुई। पांडे ने मार्च 2001 में आईएसईसी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड शुरू करने के लिए पुलिस अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया था। इस पर वह मई 2006 में कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा देकर पुलिस सेवा में लौट आए। उनके बेटे और मां ने बाद में कार्यभार संभाला। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्व एमवीए सरकार के दौरान आईआईटी-कानपुर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर चुके पांडे को मुंबई का पुलिस आयुक्त बनाया गया था।