दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया जिसके तहत अनुभवी खेल प्रशासक नरिंदर ध्रुव बत्रा को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष के तौर पर काम करने से रोका गया था। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने एकल न्यायाधीश के 24 जून के आदेश को चुनौती देने वाली बत्रा की अपील पर नोटिस जारी किया, जिसे ओलंपियन और हॉकी विश्व कप विजेता असलम शेर खान द्वारा दायर अवमानना याचिका में पारित किया गया था।
पीठ ने बत्रा के वकील से पूछा कि यह अपील किस तरह से सुनवाई योग्य है। इस याचिका पर केंद्र और खान को नोटिस जारी किया और इसे 26 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। जब बत्रा की ओर से पेश अधिवक्ता शील त्रेहान ने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश पर रोक लगाने की मांग की, तो खंडपीठ ने कहा, ”नहीं, हम इस पर रोक नहीं लगा रहे हैं। केवल एक तकनीकी मुद्दे पर हमने नोटिस जारी किया है।
एकल पीठ ने 24 जून को दिये आदेश में कहा था, बत्रा को आईओए के अध्यक्ष के रूप में किसी भी कार्य का निर्वहन करने के लिए प्रतिबंधित किया जाता है। अदालत के तीन जून 2022 के फैसले के मद्देनजर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना अध्यक्ष के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को संभालेंगे। वरिष्ठ उपाध्यक्ष अध्यक्ष के कार्यों के साथ कार्यकारी परिषद या आम बैठक के निर्देशानुसार कोई अन्य कार्य भी करेंगे। अवमानना याचिका को आगे की सुनवाई के लिए तीन अगस्त को सूचीबद्ध किया गया है।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 25 मई को हॉकी इंडिया में ‘आजीवन सदस्य’ का पद खत्म किये जाने के बाद वरिष्ठ खेल प्रशासक बत्रा को आईओए अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। बत्रा ने हॉकी इंडिया के आजीवन सदस्य के रूप में ही 2017 में आईओए अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और जीता था। खान ने इसके बाद अवमानना याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि बत्रा जानबूझकर अदालत के फैसले की अवहेलना करते हुए अपने पद पर बने हुए है।