मच्छर पनपने पर जुर्माना बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने की समीक्षा करे दिल्ली सरकार : हाईकोर्ट

0
138

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह लोगों को अपने परिसर में मच्छर पनपने देने के खिलाफ चेतावनी के तौर पर मौके पर ही जुर्माना लगाने और गलती करने वाली संस्थाओं पर जुर्माने की राशि पांच हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने को लेकर समीक्षा करे। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ शहर में बड़ी संख्या में मच्छर के लार्वा पनपने से संबंधित मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह इन पहलुओं की सर्वोच्च स्तर पर समीक्षा करके अपना रुख साफ करे। अदालत ने पाया कि यदि जुर्माने को मौके पर ही नहीं लगाया जाता है, तो प्रशासनिक तंत्र द्वारा प्रतिरोधकता विकसित करने के लिए लगाए गए जुर्माने का प्रभाव खत्म हो जाएगा। अदालत ने कहा कि केवल उल्लंघन करने वालों को चुनौती देने से अदालत में ऐसे मामलों की बाढ़ आ जाएगी।

अदालत ने यह भी पाया कि नगर निगम ने मौके पर लगाए गए जुर्माना की राशि 500 रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन दिल्ली सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि जुर्माना राशि 500 रुपये से 5000 रुपये करने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है, लेकिन इसमें मौके पर जुर्माना वसूलने की बात नहीं है। अदालत ने गत 20 मई को दिये गये अपने आदेश में कहा था कि हमारी नजर में यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (जीएनसीटीडी) की सरकार लोगों को उनके परिसर में मच्छर पनपने के खिलाफ दिमागी रूप से तैयार करना चाहती है, ताकि वह मच्छरों को नहीं पनपने दें, तो उसे मौके पर ही जुर्माना लगाने के प्रस्ताव की समीक्षा करनी चाहिए। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की सदस्यता वाली पीठ ने कहा कि यदि इस तरह के कृत्य का दोषी कोई संस्थान पाया जाता है, तो उस पर जुर्माने की राशि केवल 5000 रुपये तक सीमित नहीं रहना चाहिए और इसे 50 हजार रुपये निर्धारित किया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि जीएनसीटीडी को इन पहलुओं की उच्च स्तर पर समीक्षा करके सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब देना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। अदालत की ओर से यह भी कहा गया कि वह न्याय मित्र रजत अनेजा से सहमत है कि यदि मौके पर ही जुर्माना नहीं लगाया गया, तो प्रशासनिक तंत्र द्वारा लगाए जाने वाले जुर्माने का प्रभाव खत्म हो जाएगा। इससे पहले मार्च में उच्च न्यायालय ने नाखुशी जताते हुए कहा था कि कानून में संशोधन और जुर्माना बढ़ाने की दिशा में दिल्ली सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, ताकि यह मच्छर पनपने के खिलाफ प्रतिरोधक की तरह काम कर सके।

अदालत ने कहा कि उसके अनुरोध को अनसुना कर दिया गया। अपने आदेश में अदालत ने सभी स्थानीय निकायों, प्रशासन और विभागों को निर्देश दिया है कि पानी के कारण फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए सामान्य प्रोटोकाल के लिहाज से अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं का कड़ाई से पालन करें और उसे पूरा करें। पिछले साल अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए नगर निगमों की खिंचाई की थी। अदालत ने तब कहा था कि पूरा नागरिक प्रशासन पंगु हो गया था, क्योंकि किसी को भी मौतों की परवाह नहीं रही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here