दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में पहले उपसचिव के रूप में तैनात एक अधिकारी के खिलाफ रिश्वतखोरी के कथित आरोप की जांच भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) से करवाने को मंजूरी दे दी। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, अधिकारी पर मौद्रिक लाभ मांगने और एक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक (सीडीवी) को परेशान करने का आरोप लगाया गया था। इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार की ओर से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी गयी।
उन्होंने बताया, उपराज्यपाल ने लोक शिकायत प्रबंधन प्रणाली (पीजीएमएस) जन संवाद की देखरेख करने वाले मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में तत्कालीन उप सचिव मुकुल मनराई के खिलाफ एसीबी को जांच करने की मंजूरी दे दी है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीओसी), 1988 की धारा (17ए) के तहत जांच को मंजूरी दी गयी। सूत्रों ने बताया कि अधिकारी पर एक नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक से उसकी उपस्थिति रजिस्टर को प्रमाणित करने के लिए कथित तौर पर मौद्रिक संतुष्टि की मांग करने का आरोप लगाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि उस वक्त राजस्व विभाग में तैनात अधिकारी ने नागरिक सुरक्षा कार्यालय को पत्र लिखकर उस स्वयंसेवक को हटाने की मांग की थी, जिसे पिछले महीने का वेतन भी नहीं मिला था।
सूत्रों ने बताया, बड़ी संख्या में अन्य सीडीवी द्वारा इसी तरह की शिकायतें आ रही थीं और यह संदेह था कि सीएमओ की ढ़ाल का उपयोग करने वाले अधिकारी ने नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों से मासिक संग्रह का एक रैकेट तैयार किया था। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक ने आरोपी अधिकारी की पैसे की मांग करते हुए एक वीडियो रिकॉर्डिंग भी सबूत के तौर पर प्रस्तुत की थी। उन्होंने कहा कि सबूत के तौर पर ऑडियो रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत नवंबर, 2017 में प्राप्त हुई थी। लेकिन मामले को सतर्कता निदेशालय (डीओवी), सामान्य प्रशासन विभाग, प्रशासनिक सुधार विभाग और शिक्षा विभाग के बीच घुमाया जा रहा था। वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत मिलने पर, एसीबी ने रिकॉर्डिंग की सीडी प्रमाणीकरण के लिए फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) को भेजकर जांच शुरू की। एफएसएल ने सीडी को बिना छेड़छाड़ और असली पाया। सूत्रों ने बताया कि सतर्कता निदेशालय ने सबूतों को देखने के बाद मामले की एसीबी से जांच कराने की सिफारिश की।