दिल्ली उच्च न्यायालय ने वृद्धावस्था सहायता नियम 2009 के तहत पात्र लाभार्थियों की संख्या की निर्धारित सीमा को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी एन पटेल और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में दावा किया गया है कि निर्धारित सीमा लाभ के पात्र 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के वर्तमान संख्या अनुपात अनुरूप नहीं है।
याचिका में अधिकारियों को नियमों के तहत पेंशन की दर को संशोधित करने का निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है। इसमें कहा गया है कि मौजूदा समय में हर महीने 2,000 रुपये की पेंशन मौजूदा मासिक खर्च को देखते हुए काफी कम है। अदालत ने दिल्ली सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए समय प्रदान कर दिया और मामले को 29 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दिया। पीठ ने कहा, अनुज अग्रवाल, अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता ने प्रतिवादियों की ओर से नोटिस स्वीकार किया और जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। आग्रह के अनुरूप समय दिया जाता है। सुनवाई की अगली तारीख से पहले जवाबी हलफनामा दाखिल किया जाए। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने पैरवी की।
याचिका में दावा किया गया है कि नियमों के तहत वर्तमान में अधिकतम सीमा 5.3 लाख है, जबकि 4.02 लाख लाभार्थियों को पेंशन का लाभ देने से इनकार कर दिया गया है। अधिवक्ता रश्मि सिंह के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, राज्य को उन वृद्ध व्यक्तियों को लाभ प्रदान करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए जो स्वयं की देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं। आर्थिक बाधाओं के अलावा, वृद्ध व्यक्ति शारीरिक अक्षमताओं से भी जूझते हैं जो उनकी स्वंय देखभाल करने के प्रयास में बाधा उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार, यह राज्य का कर्तव्य है कि वह न केवल मानवीय गरिमा की रक्षा करे, बल्कि उसे सुगम बनाने के लिए और कदम उठाए।