छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने मास्टर स्ट्रोक कदम उठाते हुए सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया है। कर्मचारियों की काफी समय से चली आ रही मांग को पूरा करके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों और उनके परिवार को होली के पहले बड़ा तोहफा दिया है। पुरानी पेंशन योजना का लाभ उन डेढ़ लाख कर्मचारियों को मिल सकेगा जिन्हें वर्ष 2004 में पुरानी पेंशन योजना बंद हो जाने की वजह से इसका लाभ नही मिल पा रहा था। छत्तीसगढ़ दूसरा कांग्रेस शासित राज्य है जिसने यह बड़ा कदम उठाया है। इससे भाजपा शासित राज्यों पर भी दबाव बढ़ गया है। वहीं छत्तीसगढ़ में विपक्ष इस मुद्दे पर बैकफुट पर आ गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने अनेक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुरानी पेंशन प्रणाली को पुनः बहाल किया है। इस प्रणाली के तहत कर्मचारी को उसके अंतिम मूल वेतन का 50 प्रतिशत प्लस महंगाई राहत के साथ पेंशन की गारंटी मिलती है। सेवानिवृत्ति के समय तथा सेवाकाल के दौरान निधन की स्थिति में उस कर्मचारी और उसके परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए ग्रेच्युटी भी दी जाती है। नई पेंशन प्रणाली के तहत ऐसी कोई गारंटी नहीं है। कर्मचारी नई पेंशन योजना से कभी खुश नही रहे हैं।
वर्ष 2004 में लागू हुई नई पेंशन के तहत कर्मचारी की गाढ़ी कमाई से एकत्रित किया गया सेवानिवृत्ति का कोष शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के अधीन हो जाता है। शेयर बाजार में छोटी सी घटना को लेकर उथल-पुथल मच जाती है। कर्मचारी संगठनों का तर्क रहा है कि एनपीएस के लागू होने के 17 साल बाद भी सुरक्षा की जब गारंटी न हो तो कर्मचारियों के मन में वृद्धावस्था के समय असुरक्षा का डर होना स्वाभाविक है। घरेलू या अन्तराष्ट्रीय संकट के समय शेयर बाजार जब औंधे मुंह गिरता है तो कर्मचारियों की धड़कनें बढ़ जाती हैं और उनकी सामाजिक सुरक्षा पर जोखिम के बादल मंडराने लगते हैं। जब किसी कर्मचारी की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है तो वह पूर्ण क्षमता के साथ काम नहीं कर सकता तथा सुशासन में मनोयोग से योगदान भी नहीं दे सकता।
कांग्रेस शासित राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भी पुरानी पेंशन योजना बहाल कर चुकी है। छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने भी वित्तीय प्रभाव का आंकलन करने के बाद यह फैसला किया। बताया जा रहा है कि अगले एक दशक तक राज्य सरकार पर पुरानी पेंशन बहाल करने की वजह से कोई वित्तीय बोझ नही होगा। माना जा रहा है भूपेश सरकार व फैसले का राजनीतिक लाभ भी कांग्रेस को मिलेगा। क्योंकि यह लाखों कर्मचारियों के लिए भावनात्मक मामला रहा है। हाल ही में यूपी चुनाव के दौरान सपा ने भी इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था।्र
प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए कोई शुल्क नही, युवाओं के लिए बड़ा एलान
उधर कांग्रेस ने कर्मचारी,महिला और युवाओ पर खास ध्यान केंद्रित किया है। कर्मचारियों के लिए बड़े एलान के साथ ही यह फैसला भी किया गया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं से कोई शुल्क नही लिया जाएगा। हर साल लाखों की संख्या में छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होते हैं। इस फैसले से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चो को बड़ी राहत मिलेगी। सरकार का यह कदम भी किसी मास्टर स्ट्रोक से कम नही है। हाल के सभी चुनावो में रोजगार और युवाओं से जुड़े मुद्दे अहम साबित हुए हैं। कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को इन मुद्दों पर घेरा है। छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले से कांग्रेस को अपने तरकश में नया हथियार मिल गया है। यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी छत्तीसगढ़ सरकार की कई योजनाओं को बतौर मॉडल प्रस्तुत कर चुके हैं। अब नए एलान से एक बार फिर छत्तीसगढ़ केंद्रीय स्तर पर चर्चा और नैरेटिव तय करने का काम करेगा।
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