वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बृहस्पतिवार को कहा कि यूरोपीय संघ के ‘एकतरफा’ हरित अर्थव्यवस्था नियमों को अनुचित बताते हुए भारत ने इस पर ‘गहरी निराशा’ जताई है। यूरोपीय संघ के प्रस्तावित नियम ईयूडीआर के तहत यूरोपीय बाजार में निर्दिष्ट वस्तुओं का निर्यात करने वाले संचालकों या कारोबारियों को यह साबित करना होगा कि उनके उत्पादों का वनों की कटाई से किसी भी तरह का संबंध नहीं है। इस कानून के तहत प्रस्तावित कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) में ऐसे शुल्क लगाए गए हैं जो यूरोपीय संघ (ईयू) में ऊर्जा का अधिक उत्सर्जन करने वाली आयातित वस्तुओं पर लागू होंगे। भारत को चिंता है कि इन प्रावधानों की वजह से भारत से सीमेंट, एल्युमीनियम, लोहा और इस्पात जैसी अधिक कार्बन उत्सर्जन वाली वस्तुओं के आयात पर उच्च शुल्क लग सकता है जो ”एकतरफा” व्यापार अवरोधक के तौर पर काम करेगा।
गोयल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने एक दिन पहले ही फ्रांस की मंत्री के साथ बातचीत में यह मुद्दा उठाया था। गोयल ने फ्रांस की विदेश व्यापार मंत्री सोफी प्रीमस के साथ व्यापार, निवेश तथा आपसी हित के अन्य मुद्दों पर बुधवार को चर्चा की थी। गोयल ने यूरोपीय संघ के प्रावधानों की वजह से भारतीय निर्यातकों के समक्ष उत्पन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला। वाणिज्य मंत्री ने यूरोपीय संघ के सीबीएएम और वनों की कटाई पर लगाम से जुड़े विनियमन (ईयूडीआर) पर किए सवाल पर कहा, ”ये ऐसे मुद्दे हैं जो अब भी शुरुआती चरण में हैं। इन्हें अभी तक हमारे किसी भी निर्यात पर लागू नहीं किया गया है। मैंने फ्रांस की अपनी समकक्ष के साथ इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया है।” उन्होंने कहा, “मैंने यूरोपीय संघ द्वारा लाए गए एकतरफा नियमों तथा कई नए नियमों पर भारत की गहरी निराशा व्यक्त की। ये नियम दुनिया में किसी को भी स्वीकार्य नहीं हैं और विकासशील तथा कम विकसित देशों के साथ-साथ विकसित देशों ने भी इनका विरोध किया है।” उन्होंने यूरोपीय संघ के देशों के बीच भारत के वृद्धि पथ के बारे में बेहतर समझ विकसित करने का आह्वान किया, साथ ही इसके स्थायित्व तथा सामाजिक उपायों को लागू करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पेरिस जलवायु सम्मेलन में सहमति जताई गई थी कि कम विकसित या विकासशील देशों के लिए बदलाव की एक अवधि होगी..और सीबीडीआर शुद्ध-शून्य विश्व की ओर बढ़ने में मार्गदर्शक सिद्धांत होगा।