दिल्ली वासियों को चोर कहने के लिए माफी मांगें उपराज्यपाल : आम आदमी पार्टी

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आम आदमी पार्टी (आप) ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना पर दिल्लीवासियों को चोर कहने का आरोप लगाया और माफी की मांग की। पार्टी ने उपराज्यपाल से भाजपा कार्यकर्ता की तरह व्यवहार न करने और दिल्ली के लोगो को गाली नहीं देने के लिये भी कहा। दरअसल, बुधवार को सक्सेना ने ट्वीट किया था अतीत में वित्तीय कुप्रबंधन और 75 प्रतिशत दिल्लीवासियों द्वारा किसी भी संपत्ति कर का भुगतान नहीं किए जाने के कारण दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने एमसीडी को आर्थिक रूप से स्थिर बनाने के लिए ईमानदारी से बकाया राशि का भुगतान करने का अनुरोध किया था।

आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, दिल्ली के इतिहास में यह एक काला दिन है। उपराज्यपाल ने दिल्ली के लोगों को चोर कहा। उन्होंने सक्सेना की टिप्पणी को बेहद गैर जिम्मेदाराना करार दिया। पाठक ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शासनकाल में दिल्ली सरकार का बजट 2015 में 25,000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 70,000 करोड़ रुपये हो गया है और ऐसा इसलिए हो सका क्योंकि दिल्लीवासी ईमानदारी से अपने करों का भुगतान करते हैं। राजेंद्र नगर से नवनिर्वाचित विधायक पाठक ने कहा कि नगर निगम आज जिस वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, उसका कारण करों के भुगतान में दिल्लीवासियों की ओर से किसी भी तरह की बेईमानी नहीं है, बल्कि नगर निकाय में भाजपा के भ्रष्ट शासन की वजह से ऐसा हुआ है।

पाठक ने कहा, ईश्वर की कृपा से आप (उपराज्यपाल) बहुत जिम्मेदार पद पर बैठे हैं। दिल्लीवासी केवल स्वच्छता चाहते हैं। कर देने में कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा, आपको इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान देने के लिए माफी मांगनी चाहिए। आपको ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। दिल्ली वाले इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। दिल्ली के उपराज्यपाल ने बुधवार को एमसीडी की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए जनता से सुझाव मांगे थे और लोगों से अपने संपत्ति कर व बकाया राशि का ईमानदारी से भुगतान करने का भी आग्रह किया था।

उन्होंने कहा था कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का नकद घाटा वित्तीय वर्ष 2019-2020 और 2021-22 के बीच 2,756.32 करोड़ रुपये रहा है। उन्होंने ट्वीट किया था एमसीडी दिल्ली में 94 प्रतिशत सेवाएं देती है। पिछले वित्तीय कुप्रबंधन और करीब 75 प्रतिशत निवासियों द्वारा किसी भी संपत्ति कर का भुगतान न करने से यह संकट में आ गई है। यही समय है कि हम भारत के सबसे अमीर शहरों में से एक शहर के निवासी होने के नाते हम ईमानदारी से एमसीडी की बकाया राशि का भुगतान करें। आपके सुझाव और भागीदारी से इसे हासिल करने में मदद मिलेगी।

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