एक व्यक्ति की पत्नी को गुजाराभत्ता ना देने के तर्क को अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि जब तक पति के पत्नी पर लगाए गए आरोप साबित नहीं हो जाते, तब तक वह पत्नी को तीन हजार रुपये महीना गुजाराभत्ता का भुगतान करता रहे। कड़कड़डूमा स्थित प्रिंसीपल जिला एवं सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार की अदालत ने वादी पति की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पति का कहना था पत्नी नौकरी करती है और उसने दूसरी शादी कर ली है। परन्तु इस बाबत पति के पास कोई साक्ष्य नहीं है। अदालत ने कहा कि दोनों की मसले विचार योग्य हैं।
इन पर सबूतों के आधार पर सुनवाई कर निर्णय किया जाएगा। लेकिन अदालत ने साथ ही कहा कि जब तक स्थिति साफ नहीं होती कोर्ट की नजर में पत्नी के गुजर-बसर की जिम्मेदारी पति पर है। इसलिए उसे तीन हजार रुपये महीने के हिसाब से गुजाराभत्ता रकम देनी होगी। वहीं, पति का कहना था कि पत्नी उच्च शिक्षा प्राप्त महिला है। वह नौकरी कर रही है। ऐसे में उसके गुजर-बसर की जिम्मेदारी वह क्यों संभाले। इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि वह भी शारीरिक रुप से स्वस्थ है फिर कोई कामकाज ना होने की बात क्यों कह रहा है। उसे काम कर पत्नी की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
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