दिल्ली नगर निगम का फैसला: पहाड़ों पर सर्वेक्षण के लिए तैनात करेगा ड्रोन

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दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने शहर के ‘लैंडफिल’ स्थलों के सर्वेक्षण के लिए ड्रोन तैनात करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि ड्रोन की मदद से लैंडफिल की ऊंचाई का पता लगाया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी में तीन लैंडफिल स्थल हैं-गाजीपुर, भलस्वा और ओखला, जो अब कचरे का विशाल पहाड़ बन चुके हैं। अधिकारियों ने कहा कि ड्रोन के जरिये लैंडफिल की ऊंचाई में कमी आने समेत अन्य मानकों की भी निगरानी की जाएगी। यह भी कहा कि इस संबंध में एक योजना तैयार कर ली गई है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि ड्रोन सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी नियमित आधार पर उपराज्यपाल कार्यालय को भेजी जाएगी। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के गाजीपुर लैंडफिल स्थल का दौरा करने के एक पखवाड़े के बाद निगम ने यह कदम उठाया। उपराज्यपाल ने एमसीडी अधिकारियों से इन डंपिंग स्थलों को समतल करने की योजना पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। उपराज्यपाल के निर्देशों के बाद नगर निकाय ने पिछले सप्ताह लैंडफिल की ऊंचाई कम करने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी थी। दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नगर निकाय लैंडफिल को समतल करने और कार्य निष्पादन की प्रभावी निगरानी के लिए सभी साधनों का उपयोग कर रहा है।

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया “हमारे ताजा उपाय के तहत शहर के तीन लैंडफिल की ऊंचाई को नापने के लिए ड्रोन तैनात करने और उनकी ऊंचाई में कमी की निगरानी के लिए एक योजना तैयार की गई है। इस कदम का उद्देश्य लैंडफिल के आयामों का सटीक अंदाजा लगाना है, ताकि पता चल सके कि कई प्रयासों से उनकी ऊंचाई कितनी तेजी से घट रही है। अधिकारी ने बताया कि पहले तीन लैंडफिल स्थलों की ऊंचाई और अन्य आयामों को ड्रोन के माध्यम से मापा जाएगा और प्रत्येक 2-3 महीने के बाद इनका फिर से सर्वेक्षण किया जाएगा। इसका मकसद लैंडफिल स्थलों की ऊंचाई में कमी का सटीक पता लगाना है।

नगर निकाय अधिकारियों ने कहा कि गाजीपुर लैंडफिल स्थल को समतल करने की समय सीमा दिसंबर 2024 है, जबकि अगले साल जुलाई तक भलस्वा लैंडफिल साइट को गिराने के प्रयास जारी हैं। ओखला लैंडफिल के दिसंबर 2023 तक समतल होने की संभावना है। वर्ष 2019 में गाजीपुर लैंडफिल केंद्र की ऊंचाई 65 मीटर थी जो कि कुतुब मीनार की ऊंचाई से महज आठ मीटर कम थी। वर्ष 2017 में गाजीपुर लैंडफिल के ढहने से पास की सड़क पर दो लोगों की मौत हो गई थी। निगम के अधिकारी ने कहा कि सर्वेक्षण के दौरान लैंडफिल केंद्रों का चित्र खींचने के अलावा वीडियो तैयार किया जाएगा। नगर निकाय के अधिकारियों के अनुसार शहर में कुल करीब 11,400 मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है, जिसमें से लगभग 6,200 मीट्रिक टन इन तीन लैंडफिल स्थलों पर फेंका जाता है। शेष 5,200 मीट्रिक टन कचरे को स्थानीय रूप से संसाधित किया जाता है।

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