नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2020’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें दिल्ली के तीन नगर निगमों के एकीकरण का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक को लोकसभा ने 30 मार्च और राज्यसभा ने 5 अप्रैल को मंजूरी प्रदान कर दी थी। केंद्र की ओर से जारी राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है, संसद के निम्नलिखित कानून को 18 अप्रैल 2022 को राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई और इसे आम सूचना के लिये प्रकाशित किया जाता है। यह दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम 2022 संख्या 10 है।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, दिल्ली के तीन नगर निगमों के एककीकरण का मकसद संसाधनों का अधिकतम उपयोग, समन्वय एवं रणनीतिक योजना सुनिश्चित करना है। विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली की आप सरकार पर तीन नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि वह निगमों को प्रताड़ित कर रही है और इससे दिल्ली की जनता पीड़ित हो रही है।
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उन्होंने कहा था कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 (एए) के तहत प्रदत्त अधिकार के माध्यम से लाया गया है जिसमें कहा गया है कि संसद को दिल्ली के संघ राज्य क्षेत्र से जुड़े किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। शाह ने कहा था कि दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने तीन निगमों को करीब 40,500 करोड़ रुपये देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसमें काफी कटौती कर दी।
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इस कानून में कहा गया है कि निगम में पार्षदों की कुल संख्या और अनुसूचित जाति समुदायों के लिये आरक्षित सीटों की संख्या का निर्धारण निगम के गठन के समय केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। इसमें सीटों की संख्या 250 से कम नहीं होगी। पूर्ववर्ती निगमों की सारी चल और अचल सम्पत्ति दिल्ली नगर निगम में समाहित हो जाएगी। वहीं, विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, सरकार देश की राजधानी में नागरिक सेवाएं प्रदान करने तथा वित्तीय कठिनाइयों एवं क्रियाशील अनिश्चितताओं को दूर करने के प्रयास के तहत दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक 2022 लाई है।