केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर कांग्रेस नेताओं के विरोध को पार्टी की ‘तुष्टिकरण’ की राजनीति से जोड़ा। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शन इसलिए किया गया ताकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2020 में इस दिन राम मंदिर की नींव रखे जाने का विरोध किया जा सके। शाह ने संसद भवन परिसर में पत्रकारों से कहा, ‘आज का दिन कांग्रेस ने इसलिए काले कपड़ों में विरोध के लिए चुना, क्योंकि वे इसके माध्यम से संदेश देना चाहते हैं कि हम राम जन्मभूमि के शिलान्यास का विरोध करते हैं और अपनी तुष्टिकरण की नीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि आज ही के दिन प्रधानमंत्री मोदी ने राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास करके 550 वर्ष पुरानी समस्या का शांतिपूर्ण समाधान निकाला था। उन्होंने कहा कि मंदिर का निर्माण अब तेजी से चल रहा है। शाह ने दावा किया कि कांग्रेस मंदिर निर्माण पर अपना विरोध जता रही है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई और महंगाई के मुद्दे तो महज बहाना हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस खुले तौर पर मंदिर का विरोध नहीं कर सकती थी, इसलिए उसने एक गुप्त संदेश देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट रूप से मानता हूं कि कांग्रेस ने मंदिर मुद्दे पर अपना विरोध दिखाने के लिए काले कपड़ों में प्रदर्शन करने के लिए पांच अगस्त के दिन को चुना है।’
शाह ने कहा कि इतनी सारी चुनावी हार का सामना करने के बावजूद कांग्रेस अपनी ‘तुष्टिकरण की राजनीति” को छोड़ने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले महीने संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से अपने नेताओं के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई और महंगाई जैसे मुद्दों पर विरोध कर रही है। गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से ज्यादातर समय तक सत्ता में रहने के बावजूद, कांग्रेस ने विवाद को सुलझाने के लिए कुछ नहीं किया, जबकि मोदी ने शांतिपूर्ण तरीके से इसका समाधान निकाला। उन्होंने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति ने आजादी के बाद से देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है और सभी दलों को इसे छोड़ देना चाहिए। कांग्रेस नेताओं ने काले कपड़े पहनकर महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध जताया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा सहित पार्टी के कई नेताओं को पुलिस ने लगभग छह घंटे तक हिरासत में रखा।