दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी के टैग से मुक्ति नहीं मिल रही है। स्विस संस्था ‘आईक्यू एयर’ द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में दिल्ली दुनिया की सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी रही है। यह लगातार चौथा साल है जब दिल्ली को सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी का टैग मिला है। भले ही राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हों लेकिन फिलहाल तो इनका खास असर नहीं दिख रहा है। आईक्यू एयर संस्था द्वारा मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में भारत का कोई भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरता।
डब्लूएचओ के मानकों के मुताबिक हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जबकि, भारत के 48 फीसदी शहरों में पीएम 2.5 का स्तर 50 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा यानी डब्लूएचओ के मानकों से लगभग दस गुना ज्यादा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में सबसे ज्यादा खराब हवा वाले 50 शहरों की सूची में से 35 शहर भारत के हैं। वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर वायु गुणवत्ता की स्थिति बयान करने वाली यह रिपोर्ट 117 देशों के छह हजार 475 शहरों की हवा में प्रदूषक कण पीएम 2.5 की मौजूदगी से जुड़े डाटा पर आधारित है। इसमें राजधानी दिल्ली लगातार चौथे साल सबसे ज्यादा प्रदूषित राजधानी साबित हुई है। दिल्ली के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका दूसरे, चाड की राजधानी एनजमीना तीसरे, ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे चौथे और ओमान की राजधानी मस्कट पांचवे स्थान पर है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 में नई दिल्ली में पीएम 2.5 कणों के स्तर में 14.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और यह वर्ष 2020 में 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 2021 में 96.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है। जबकि, देश में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया। जिससे इसमें तीन वर्षों से दर्ज किया जा रहा सुधार थम गया है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर वर्ष 2019 में लॉकडाउन से पहले के स्तर पर पहुंच गया है। चिंता की बात यह है कि 2021 में कोई भी भारतीय शहर पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के डब्लूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा है। हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर कोई भी देश डब्लूएचओ के मानक पर खरा नहीं उतरा और दुनिया के केवल तीन देश ही इसे पूरा कर पाए हैं। ग्रीनपीस इंडिया के कैंपेन मैनेजर अविनाश चंचल कहते हैं कि आईक्यू एयर की रिपोर्ट सरकारों और निगमों की आंखे खोलने वाली है। इससे एक बार फिर यह साबित होता है कि लोग खतरनाक रूप से प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। वाहनों से होने वाला उत्सर्जन शहरों की हवा में पीएम 2.5 कणों की भारी मौजूदगी का प्रमुख कारकों में से एक है।