यूनिवर्सिटी को वैचारिक लड़ाई का स्थान नहीं बनना चाहिए: अमित शाह

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि यूनिवर्सिटी को विचारों के आदान-प्रदान का मंच होना चाहिए और इन्हें वैचारिक लड़ाई का स्थान नहीं बनना चाहिए। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में स्वराज से नवभारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। शाह ने कहा कि यदि कोई विशेष विचारधारा संघर्ष का कारण है, तो यह कोई विचारधारा नहीं है और निश्चित रूप से भारत की विचारधारा नहीं है। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालयों को विचारों का आदान-प्रदान करने का मंच बनना चाहिए, वैचारिक लड़ाई का स्थान नहीं। विचारों और चर्चाओं से एक विचारधारा आगे बढ़ती है।

शाह ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा, नालंदा और तक्षशिला के विश्वविद्यालयों को नष्ट करने वालों को कोई याद नहीं करता। कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुस्तकालय महीनों तक जलता रहा। लेकिन उन विश्वविद्यालयों के विचार आज भी जीवित हैं। उन्होंने युवाओं को देश के प्रति अपने कर्तव्यों को समझने की भी सलाह दी और भारत की रक्षा नीति के बारे में बताया। शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले भारत के पास कोई रक्षा नीति नहीं थी और अगर थी भी तो वह विदेश नीति की एक परछाई मात्र थी।

देश द्वारा आतंकी ठिकानों पर किए गए सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों ने दिखाया है कि भारत के लिए रक्षा नीति का क्या मतलब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से पहले, भारत के पास कोई रक्षा नीति नहीं थी। अगर थी भी तो वह विदेश नीति की महज एक परछाई मात्र थी। पहले, आतंकवादी हम पर हमला करने के लिए भेजे जाते थे और उरी तथा पुलवामा हमलों में भी ऐसा ही करने की कोशिश की गई, लेकिन हमने सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमले से दिखा दिया कि हमारी रक्षा नीति के क्या मायने हैं।

गृह मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत शांति का पुजारी है शांति चाहता है और दुनिया के हर देश के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखता है। उन्होंने कहा, भारत एक भू-सांस्कृतिक देश है और लोग भारत के विचार को तब तक नहीं समझेंगे जब तक वे इसे नहीं समझेंगे। शाह ने कहा, कुछ लोग भारत को समस्याओं का देश कहते हैं, लेकिन हम मानते हैं कि हमारे देश के पास लाखों समस्याओं का समाधान करने की क्षमता है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पांच अगस्त 2019 को एक झटके में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा, जिन लोगों ने कहा था कि खून की नदियां बह जाएंगी, वे पथराव तक नहीं कर सके। गृह मंत्री ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया है कि अगर कोई देश को प्राथमिकता देता है तो बदलाव कैसे आता है। भारत का हमारा विचार भी सुरक्षित भारत के इर्द-गिर्द घूमता है।

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