दिल्ली में चलेगा किसका सियासी ब्रांड?
क्या चल पाएगा एमसीडी में भी केजरीवाल का फार्मूला?

0
162

दिल्ली में एमसीडी पर कब्जे की लड़ाई आने वाले दिनों में तेज होने वाली है। दरसअल यह संघर्ष दिल्ली तक सीमित नही है,बल्कि पंजाब में जीत के बाद केजरीवाल की बढ़ती महत्वाकांछा और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता के चरम पर विराजमान भाजपा की किसी को विकल्प न बनने देने या मजबूती से पांव जमाने से रोकने की सियासी कवायद का परिणाम है।
देश की राजधानी में तीनों निगमों का विलय करने का प्रस्ताव संसद में पेश होने के बाद से अब मोदी सरकार और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार आमने सामने हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी की दिल्ली इकाई में भी जमकर भिड़ंत हो रही है।
केजरीवाल का आरोप है कि भाजपा सत्ता का दुरुपयोग करके दिल्ली में एसीडी का चुनाव टलवाने पर आमादा है। क्योंकि भाजपा को डर है कि अगर चुनाव हुए तो पंद्रह साल से दिल्ली एमसीडी पर काबिज भाजपा इस बार हार कर बाहर हो जाएगी। वही भाजपा इसे वित्तीय प्रबंधन और समान विकास की रणनीति के तर्क पर आप के आरोपों को खारिज कर रही है।
फिलहाल दिल्ली में जल्द चुनाव होने के आसार नही हैं। सचाई यह भी है कि भाजपा चुनाव टलने के बाद खुद को दिल्ली में मज़बूत करने की रणनीति पर ज्यादा तेजी से काम करेगीं। भाजपा के रणनीतिकारों को पता है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी का सिंबल और केजरीवाल का नाम एक ब्रांड बन चुका है जिसपर लोग वैसे ही भरोसा करते हैं,जैसे राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड मोदी चलता है। भाजपा को यह भी पता है कि अगर ब्रांड केजरीवाल मज़बूत बना रहा तो आने वाले दिनों में ब्रांड मोदी कि लिए भी चुनौती जरूर बढ़ेगी। ऐसे में दिल्ली में आम आदमी पार्टी को रोकना तो मुश्किल होगा ही कई अन्य राज्यों में पंजाब जैसी बड़ी सियासी ताकत के रूप में आम आदमी पार्टी उभर सकती है। फिलहाल दिल्ली में चल रहा संघर्ष अभी ट्रेलर है असली पिक्चर तो अभी बाकी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here